बेटी हमर जान ये अऊ बेटी हमर शान,
सीखव ओकर से सीख अऊ करव ओकर मान,
बेटी ल काबर कोख में मारथव रे शैतान I
किलकारी ल गुंजन दव अऊ भरन दव उड़ान,
धरती म अवतरण दव करव तुमन गुमान,
बेटी ल काबर कोख में मारथव रे शैतान I
बेटी पढ़ावव,बेटी बढावव,अऊ बढावव ओकर गियान,
पांव में बेड़ी बांधके मत करव ओकर अपमान
बेटी ल काबर कोख में मारथव रे शैतान I
सपना मा जईसे ओकर पाख लगे करव अईसन काम,
ओला सहेजव,संवारव संगी तभे होही कलियान,
बेटी ल काबर कोख में मारथव रे शैतान I
कल्पना ल ओकर उड़ान देवव साक्षी कस बनावव बलवान,
अतेक निरदयी मत बनव संगी, जगाही अलख तोर नाव
बेटी ल काबर कोख में मारथव रे शैतान I
विजेंद्र वर्मा अनजान (नगरगाँव)
9424106787